Raigarh News : आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। दावेदारों ने टिकट के लिए और ज्यादा भागदौड़ शुरू कर दी है। राजनीतिक दल भी जोर-शोर से तैयारी मेंं जुट गए हैं। पक्ष-विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चल रहा है। सरकार अपनी उपलब्धियां गिना रही है, वहीं विपक्ष सरकार की नाकामीयों को जनता को बतला रही है। बात करें, लैलूंगा विधानसभा सीट की तो यहां कांग्रेस और भाजपा में विधायक पद के लिए टिकट की मांग करने वाले नेताओं की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है।
वर्तमान में लैलूंगा से कांग्रेस पार्टी के विधायक हैं,जिनकी खामियों को भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता जागेश सिदार ने आड़े हाथों लिया है। लैलूंगा विधायक चक्रधर सिदार के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए जागेश ने उनके कार्यों पर नाराजगी जताई है।
भाजपा युवा नेता जागेश सिंह ने लैलूंगा विधायक के कार्यों की विफलता पर तंज कसते हुए कहा है कि विधायक दमदार होता तो, विकास के लिए कहीं से फंड लाने की आवश्यकता नही होती। लैलूंगा विधानसभा कोयले सा काला नही सोने सा चमकता रहता।लैलुंगा विधानसभा उद्योंगों से भरा है। क्षेत्र में कई कोयले की खानें है, सभी प्रकार के उद्योग हैं। पॉवर प्लांट से लेकर छोटे बड़े उद्योगों को मिलाकर 100 से भी अधिक कंपनियां स्थापित हैं। जहाँ के राजस्व के पैसे से पुरा छत्तीसगढ़ जगमगा रहा है।
लेकिन लैलूंगा विधानसभा आज भी प्रदूषण की मार झेल रहा है, सड़कों में आना जाना दूभर है, सड़कों की स्थिति इतनी खराब है कि मिलुपारा से पुँजीपथरा जाते नही बन रहा। स्वयं विधायक की गाड़ी चुनाव जितने के बाद शायद ही गयी हो। क्षेत्र में बेरोजगारों की भरमार है, युवा बेरोजगार घूम रहे।
शिक्षा के क्षेत्र में सभी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है। गरीब के बच्चे सरकारी स्कूल में पड़ते हैं, क्या इस क्षेत्र के बच्चों को, अच्छे शिक्षा की आवश्यकता नही है..? उद्योंगों की सहायता से शिक्षक व्यवस्था भी वर्तमान विधायक द्वारा नही किया जा पा रहा है।
मीलुपारा में जहाँ विश्व की सबसे बड़ी कंपनी मे शुमार अदानी समूह, हिंडाल्को समुह, अंबुजा समुह की खदानें है, वहीं मिलुपारा के प्राथमिक विद्यालय, और माध्यमिक विद्यालय में सिर्फ दो शिक्षक है। जिससे बच्चों का भविष्य गर्त में जाता दिख रहा है।
साथ ही केशला से मिलुपारा तक कि सड़क की स्थिति भी किसी से छिपी नही है। विधायक यदि चाहते तो उद्योगों के सहयोग से और क्षेत्र के राजस्व का 25 प्रतिशत भी क्षेत्र के लिए खर्च करते तो आज लेलुंगा विधानसभा को सोने सा चमकता देख सकते है।