Raigarh News: जिले के घरघोड़ा क्षेत्र में सावन झूला रथ यात्रा के नाम पर खुडखुडिया नामक जुए का खेल जोरों पर चल रहा है। जहां- जहां रथ यात्रा आयोजित हो रही है, उन अधिकतर जगहों पर जुए की महफ़िल सज रही है। हालांकि, पुलिस पुछल्ले कार्यवाही के बाद अपनी जिम्मदारियों की इति श्री कर ली है। जिले के कुछ थाने के अधिकारियों को शिकायत का इंतजार है,तो कही की पुलिस जुए के खेल से पहले पेट्रोलिंग टीम भेज कर खुद को मामले से अनभिज्ञ होने का दिखावा कर रही है। ऐसा नही है कि पुलिस को हर रथ यात्रा में लगने वाली जुए की महफ़िल की जानकारी न हो, लेकिन यहां मामला सब सेट है।
कैसे होता है यह खेला
स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार, रथ यात्रा के आयोजन से पहले पांप्लेट छपवाया जाता है, और क्षेत्र में इसका व्यापक प्रचार प्रसार किया जाता है, जिससे अधिक संख्या लोग जुट सके। लेकिन पांप्लेट छपने से पहले ही यह फिक्स होता है कि उनके गांव में खुडखुडिया कौन खिलाएगा..? जुआ खिलाने वाला ठेकेदार रथ आयोजन समिति को कितना पैसा देगा.? और बाकी के मैनजेमेंट को भी जुआ खेलाने वाला ठेकेदार ही देख लेता है।
आयोजन समिति को देना पड़ता है मोटी रकम
जिस गांव में रथ यात्रा आयोजित होती है, वहां कई नृत्य मंडली पारंपरिक वेशभूषा और वाद्ययंत्रों के साथ पहुंचते है। जो मांदर के थाप और स्थानीय भाषा मे गाना गाकर नृत्य करते है। जिनके प्रदर्शन के आधार पर ईनाम दिया जाता है। ग्रामीण बताते है कि नृत्य मंडली का इनाम को भी खुडखुडिया खेलाने वाले ठेकेदार को देना पड़ता है। साथ ही साथ अन्य व्यवस्था में लगने वाली राशि को भी उन्हें ही वहन करना होता हैं।
कैसे खेलते है यह खेल
खुडखुडिया नामक जुआ कैसे खेला जाता है..हम आपको विस्तार से बताते है। इस खेल के लिए जुआ खेलाने वाला ठेकेदार सबसे पहले गांव के उस जगह को चुनते है, जहां सैकड़ों लोगों को बिना किसी परेशानी के जुआ खेलते बन जाये। इस खेल के लिए जमीन पर सबसे पहले दरी बिछाई जाती है। फिर उसके ऊपर एक पट्टी बिछाई जाती है। जिसमे झंडी-मुंडी, हुकुम-चिड़ी, पान और ईटा का निशान छपा हुआ होता है। उसी पट्टी के बगल में एक टुकनी रखा जाता है, जिसमे 6 गोटियां रखी जाती है। सभी गोटियों के 6 पहलू होते है। जिनमें झंडी-मुंडी, हुकुम-चिड़ी, पान और ईटा का निशान छपा हुआ होता है। उन 6 गोटियों को टुकनी में रखकर उसे उल्टा पलट दिया जाता है। इसी निशान का अनुमान लगाकर लोग पट्टी के उस निशान पर पैसा फेंकते है। फिर टुकनी को सीधा किया जाता है और जिश निशान के जितने गोटी ऊपर दिखलाई पड़ती है उसके आधार पर खेले गए पैसों का डबल तिबल पैसा खेलने वाले को दिया जाता है। फिर इसी लालच में आकर झंडी,मुंडी,चिड़ी, पान में लाखों फेंक कर लोग खून पसीने की कमाई को इस खेल पर उड़ा कर आर्थिक तंगी से जूझते है।
उड़ीसा अंचल से पहुंचते है जुआड़ी
ग्रामीण अंचल के अलावा मोटी रकम लेकर उड़ीसा के जुआड़ी भी जुआ खेलने पहुंच रहे हैं। कहा जाए तो जुए के आधार पर ही रथ यात्रा कराई जा रही है।
पुलिस की अनभिज्ञता समझ से परे
आपने जरूर सुना होगा कि उक्त थाना की पुलिस घने जंगल के बीच पहुंचकर जुआ रेड कार्यवाही की है,और अमूख-अमूख जुआड़ियों को पकड़ा है। जब पुलिस को घने जंगल के बीच सजी जुए की महफ़िल के बारे में पता चल सकता है,तो गांव -गांव में सार्वजनिक रूप से चल रहे खुडखुडिया जुए का पता कैसे नही चल पा रहा है।पुलिस की यह अनभिज्ञता समझ से परे है।