रायगढ़। कहते हैं इंसानियत आज भी जिंदा है, बस उसे निभाने वाले दिल चाहिए। जिले से एक ऐसा ही उदाहरण सामने आया है, जिसने सभी का दिल छू लिया। भैसगढ़ी के ग्रामीणों और बड़गांव के सरपंच दंपत्ति की पहल पर एक मानसिक रूप से कमजोर महिला, जो परिजनों से बिछड़ गई थी, सकुशल अपने परिवार से मिल पाई।
ग्रामीणों ने बताया कि 18 अगस्त को वे बेनीपाठ मंदिर से लौट रहे थे, तभी रास्ते में जंगल के भीतर एक महिला अकेली पैदल चलती दिखाई दी। बातचीत करने पर उसने अपना नाम और गांव डबरा बताया। महिला मानसिक रूप से कमजोर थी, लेकिन सौभाग्य से उसे एक फोन नंबर याद था।
ग्रामीणों ने उस नंबर पर संपर्क किया, तो महिला के पिता से बातचीत हुई। उन्होंने अपना निवास झांसी (उत्तरप्रदेश) बताया और जानकारी दी कि अर्चना 15 अगस्त की शाम से लापता थी। परिजन लगातार उसकी तलाश में जुटे थे।
बिछड़ी बेटी के मिलने की खबर सुनकर परिजनों की आंखों से आंसू छलक पड़े। महिला का पति और बेटा तत्काल भैसगढ़ी के लिए रवाना हुए और अगले दिन सुबह वहां पहुंचे। ग्रामीणों की मौजूदगी में बड़गांव के सरपंच पति ललित राठिया, सरपंच गुरुदयाल मालाकार, अनुपमा मालाकार व अन्य नागरिकों ने महिला को उसके परिजनों को सौंप दिया।
महिला को सुरक्षित पाकर परिजन भावुक हो उठे और ग्रामीणों का दिल से आभार व्यक्त किया। इस पूरे घटनाक्रम ने साबित कर दिया कि आज भी समाज में मानवता की लौ प्रज्वलित है और जरूरतमंद की मदद करने वाले लोग हर जगह मौजूद हैं।










