रायगढ़। धरमजयगढ़ ब्लॉक के पुरूँगा में अडानी समूह की प्रस्तावित कोयला खदान को लेकर ग्रामीणों का विरोध एक बार फिर उभरकर सामने आया है। 11 नवंबर को होने वाली जनसुनवाई से पहले पुरूंगा, समरसिंगा और तेंदुमुड़ी गांव के ग्रामीण आज धरमजयगढ़ मुख्यालय पहुंचे और जनपद पंचायत, वनमंडलाधिकारी और एसडीएम कार्यालय के बाहर मौन प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने हाथों में संविधान की प्रति थाम रखी थी। उनका कहना था कि वे “संविधान से मिले अधिकार के तहत अपने जल, जंगल और जमीन के अधिकारों की रक्षा” के लिए खड़े हैं।
कोयला खदान से पर्यावरण और जीवन पर संकट की आशंका
प्रस्तावित खदान क्षेत्र घने जंगलों, नालों और खेती की जमीनों से घिरा हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि खदान शुरू होने से इलाके में पर्यावरण प्रदूषण, जंगलों की कटाई और हाथी-मानव संघर्ष बढ़ेगा। यह इलाका पहले से ही हाथियों के आवागमन क्षेत्र (कॉरिडोर) में आता है। ग्रामीणों का कहना है कि खदान की गतिविधियों से वन क्षेत्र खंडित होगा और हाथी गांवों की ओर आने लगेंगे।
‘विकास के नाम पर उजड़ रहा है हमारा गांव’
ग्रामीणों का आरोप है कि परियोजना के लिए अधिग्रहीत की जाने वाली जमीनें उनकी जीविका का मुख्य साधन हैं। कोयला खदान से निकलने वाला धूल और कचरा आसपास की खेती और जल स्रोतों को नुकसान पहुंचाएगा। विकास के नाम पर हमारी जमीन छीनी जा रही है, लेकिन हमें न रोजगार की गारंटी है, और न ही जल, जंगल जमीन बचाने की कोई स्पष्ट नीति है।
जनसुनवाई के बहिष्कार का ऐलान
पुरूँगा में प्रस्तावित कोल परियोजना की जानकारी मिलते ही प्रभावित ग्रामीण शुरुआत से ही विरोध करते आए हैं। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि और प्रभावित ग्रामीण जनसुनवाई निरस्त करने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट घेराव भी किया था। इसके बाद एसडीएम जनप्रतिनिधि और कंपनी के अधिकारियों के बीच बैठक भी हुई थी। लेकिन इसके बाद भी किसी प्रकार की सहमति नहीं बनी, आज भी प्रभावित ग्रामीण कोल परियोजना और आगामी जनसुनवाई निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि वे 11 नवंबर को प्रस्तावित जनसुनवाई का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने मांग की कि पहले गांवों की सहमति के बिना किसी भी प्रकार की जनसुनवाई या परियोजना प्रक्रिया आगे न बढ़ाई जाए।
‘संविधान ही हमारा हथियार’
मौन विरोध में शामिल ग्रामीणों ठंढा राम राठिया ने बताया कि आज हम सभी तीनों गांव के प्रभावित ग्रामीण मिलकर शांतिपूर्ण तरीके से रैली निकालकर एसडीम वन विभाग और जनपद पंचायत में ज्ञापन दिए हैं, हमारी यही मांग है कि 11 तारीख को होने वाली जनसुनवाई निरस्त किया जाए। साथ ही आज हम शांतिपूर्ण रैली निकाल कर हाथों में संविधान का बुक भी लेकर आए हैं। संविधान में जो लिखा है शासन प्रशासन नेता उसी के हिसाब से हमें समझाएं, हम एसडीएम या कलेक्टर के बुलाने पर उनके ऑफिस में जाकर बातचीत नहीं करेंगे, जिन्हें बातचीत करना है वे गांव में आकर हमें बतलाएं। हमारा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति वाला क्षेत्र है, यहां पेसा एक्ट कानून लागू है। जहां पंचायत प्रस्ताव के बगैर कोई भी कार्य नहीं किया जा सकता।
पर्यावरण और सामाजिक संतुलन के लिए गंभीर खतरा
धरमजयगढ़ क्षेत्र में प्रस्तावित यह कोयला खदान अडानी समूह की एक बड़ी परियोजना मानी जा रही है। प्रशासन की ओर से 11 नवंबर को जनसुनवाई निर्धारित की गई है। वहीं, स्थानीय ग्रामीण और सामाजिक संगठन इसे पर्यावरण और सामाजिक संतुलन के लिए गंभीर खतरा बता रहे हैं। फिलहाल अब देखने वाली बात यह होगी कि जिंदल द्वारा प्रस्तावित जनसुनवाई का भारी विरोध होने से स्थगित किया गया था, क्या ठीक उसी प्रकार जन विरोध को देखते हुए आगामी 11 नवंबर को होने वाली अडानी की जनसुनवाई को स्थगित किया जाता है, या फिर आदिवासियों का खुद को हितैषी बतलाने वाली भाजपा की सरकार लोगों के जुबान को कुचलकर जनसुनवाई सफल करवाती है।










