Raigarh News: रायगढ़ जिले के विधानसभा क्रमांक 15 लैलूंगा का सियासी समीकरण समझ से परे होता जा रहा है। कभी यहां बीजेपी की जीत होती दिख रही है तो कभी कांग्रेस के नए चेहरे को लोग अपना बहुमूल्य वोट देने की बात कर रहे हैं। जिससे यह कह पाना कठिन हो गया है कि यहां भाजपा की जीत हो रही है या कांग्रेस फिर बाजी मार रही है। जिस प्रकार की परिस्थिति यहां निर्मित हो रही है उसे यही लग रहा है कि दोनों के बीच कांटे की टक्कर होने वाली है। उम्मीदवारों की बात की जाए तो यहां राजनीतिक पार्टियों में भाजपा ने वही पुराना चेहरा सुनीति राठिया को मैदान में उतार है। वहीं कांग्रेस ने सिटिंग एमएलए की टिकट काटते हुए नया चेहरा विद्यावती सिदार को अपना प्रत्याशी के रूप में चुनावी रण में भेजा है। विधायक पद के लिए लैलूंगा विधानसभा सीट पर इस बार कुल 8 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है। भाजपा और कांग्रेस जैसी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के अलावा मनीषा गोंंड (जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे), श्री अजय कुमार पंकज (हमर राज पार्टी), श्री रघुवीर राठिया (गोंडवाना गणतंत्र पार्टी), श्री श्रवण भगत (बहुजन मुक्ति पार्टी), श्री भजन सिदार (निर्दलीय) एवं श्री महेन्द्र कुमार सिदार (निर्दलीय) भी विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। हालांकि लैलूंगा विधानसभा सीट पर प्रमुख दो राजनीतिक पार्टी भाजपा और कांग्रेस के बीच ही घमासान होने की आशंका है।
कांग्रेस में बगावती सुर से मिलेगा भाजपा को फायदा
लैलूंगा विधानसभा सीट में बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं में नाराजगी और बगावती सुर देखने को मिले हैं। हालांकि भाजपा कार्यकर्ताओं ने खुलेआम ऐसा कोई कार्य नहीं किया है जिससे उनको बागी कहा जा सके। लेकिन दबी जुबान भाजपा कार्यकर्ताओं से यह सुनने को मिला है कि वही पुराना चेहरा को फिर पार्टी ने विधायक टिकट दी है। किसी नए चेहरे को अगर भारतीय जनता पार्टी द्वारा टिकट दी जाती तो यह सीट आसानी से बीजेपी जीत जाती।
बगावती सुर– “रहीमन तागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए, टूटे पर फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ पर जाए” रहीम का यह दोहा इन दिनों लैलूंग कांग्रेस के बीच चरितार्थ हो रहा है। सिटिंग एमएलए का टिकट कटना, फिर विद्यावती सिदार को टिकट मिलने के बाद विधायक टिकट के लिए दावेदारी पेश करने वाले कांग्रेस के कद्दावर नेता सुरेंद्र सिदार का बगावत फिर ठंडाराम बेहरा का इस्तीफा और अब चुनाव के ठीक पहले रोशन पंडा का पार्टी विरोधी कार्य के कारण पार्टी से निष्कासित होना, कांग्रेस पार्टी के लिए सर दर्द बना हुआ है। इन सब कार्यों के बाद यही पता चलता है कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

मान मनवल के बाद दिल से करेंगे काम या केवल दिखावा
कांग्रेस पार्टी द्वारा लैलूंगा विधानसभा सीट से विद्यावती सिदार को प्रत्याशी के रूप में घोषणा की गई। उसके कुछ समय बाद ही विधायक टिकट के लिए दावेदारी करने वाले सुरेंद्र सिदार ने फेसबुक वाल के जरिये निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। उन्होंने फेसबुक पर यहां तक भी लिख डाला कि अगर दमदार विधायक होते तो क्षेत्र की सड़क सोने की तरह चमकती। उन्होंने और भी बहुत कुछ पोस्ट किया…. इसके बाद मुख्यमंत्री का आगमन रायगढ़ में हुआ और सुरेंद्र सिदार भी इस मंच पर दिखाई दिए। जहां मुख्यमंत्री ने रायगढ़ के कांग्रेसी नेताओं के साथ सुरेंद्र सिदार का नाम पकड़कर जिंदाबाद के नारे लगाए। फिर कुछ दिन बाद सुरेंद्र सिदार ने अपने बगवती सुर बंद कर दिया और अखबार पर यह खबर देखने को मिली कि लिबरा के शंभू चौधरी के घर पर कांग्रेस पार्टी ने एक बैठक रखी थी। जहां सभी के बीच लंबी चर्चा हुई है और सुरेंद्र सिदार ने कांग्रेस प्रत्याशी विद्यावती सिदार को अपना आशीर्वाद दिया है और साथ में काम करने का दावा किया है।

सड़क सबसे बड़ा मुद्दा–
औद्योगिक क्षेत्र तमनार में सड़के बद से बदतर हो चुकी है। प्रमुख सड़क पूरी तरह से टूट चुकी है। क्षेत्र की सड़कों पर चलना अब दुभर हो गया है। भारी वाहनों के चलने से सड़क लगातार टूट रही है। लैलूंग विधानसभा में सड़क की स्थिति भी पार्टी की जीत तय करेगी की कौन प्रत्याशी सड़क के लिए कितना कारगर काम किया है। कांग्रेस सरकार में सड़क की दैनिक स्थिति यहां किसी से छिपी नहीं है। आज भी यहां सड़क की स्थिति काफी खराब है। हालांकि नामांकन दाखिल करने आई भाजपा प्रत्याशी सुनीति राठिया ने कहा था कि वह सड़क को लेकर काफी गंभीर है।
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लैलूंगा विधानसभा सीट का इतिहास
वैसे लैलूंगा विधानसभा सीट के सियासी इतिहास की बात की जाए तो 1990 से 2003 तक यहां कुंजेमुरा निवासी आदिवासी नेता प्रेम सिंह सिदार यहां विधायक रहे। लेकिन अजीत जोगी के संपर्क में आने के बाद उन्होंने बीजेपी का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया। 2003 के विधानसभा चुनाव में उन्हें इस गलती का खामियाजा भुगतना पड़ा। बीजेपी के टिकट पर सत्यानंद राठिया ने उन्हें शिकस्त दी। लेकिन 2008 में इस विधानसभा में मतदाताओं का मिजाज बदला और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी हदयराम राठिया को अपना नेता चुना।
2013 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो बीजेपी ने सत्यानंद राठिया की पत्नी सुनीति राठिया को टिकट दिया, जिन्होंने हृदयराम राठिया को हराया। देखते ही देखते समय बितता गया। हार के बाद हृदय राम राठिया ने कांग्रेस पार्टी के प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ज्वाइन कर लिया। आगामी 2018 विधानसभा चुनाव को लेकर फिर सभी नेताओं ने लोगों से जुड़ना शुरु कर दिया। चुनाव नजदीक आया और राजनीतिक पार्टियों ने अपने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। बीजेपी ने अपने पुराने चेहरे सत्यानंद राठिया पर विश्वास जताते हुए मैदान पर उतारा। वही कांग्रेस पार्टी ने चक्रधर सिदार को मौका दिया।जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने यहां से कांग्रेस के विधायक रह चुके हृदयराम राठिया को चुनावी मैदान मे उतारा, तो वहीं आम आदमी पार्टी ने भी अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी। ऐसे में इस सीट पर घमासान मचना तय था। हुआ भी कुछ ऐसा ही, सभी पार्टियों ने दमखम लगा कर प्रचार प्रसार किया। लेकिन चौक चौराहा पर यह चर्चा पहले से तेज हो चुकी थी कि भाजपा इस चुनाव में हारने वाली है। लोग कांग्रेस की लहर चलने की बातें कह रहे थे, जो चुनाव परिणाम आने के बाद सही भी साबित हो गया। कांग्रेस प्रत्याशी चक्रधार सिदार ने बड़े अंतर से भाजपा प्रत्याशी सत्यानंद राठिया को पछाड़ दिया। अब एक बार फिर 2023 के चुनाव में भाजपा ने पुराना चेहरा सुनीति राठिया पर दांव खेला है,तो वहीं कांग्रेस पार्टी ने पूर्व में भाजपा के विधायक रहे स्वर्गीय प्रेम सिंह सिदार की बहू विद्यावती सिदार को चुनावी मैदान में उतारा है।