Raigarh News : ‘हादसे का इंतजार’…मौत के मुंह से गुजरकर स्कूल जा रहे बच्चे ! गेरवानी- सराईपाली मार्ग पर कई जानलेवा गढ्ढे ! मौत का सफर करने मजबूर राहगीर ! पढ़िए पूरी खबर…

Raigarh News: जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर गेरवानी- सराईपाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़क अपने अधूरे हिस्से की पूर्णता की बाट जोह रही है। विभागीय दस्तावेजों और सड़क किनारे लगे बोर्ड में भले ही कार्य पूर्ण होने का उल्लेख है। लेकिन यह सौ फीसदी सच है कि सड़क की शुरूआती 500 मीटर के हिस्से पर सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है। जिससे बीते पांच वर्षों से इस क्षेत्र के लोग इस अधूरे पीएमजीएसवाई के सड़क आवागमन करने के लिए मजबूर हैं।

Raigarh News : गेरवानी- सराईपाली मार्ग पर बड़े-बड़े गढ्ढे, जानलेवा हुआ सफर… जिम्मेदार बेपरवाह !

गेरवानी-सराईपाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की इस सड़क के मुहाने पर बने बड़े बड़े गड्ढें हर क्षण किसी बड़े हादसे को न्योता दे रहे हैं। इन पांच वर्षों में कई दुर्घटना घटित हो चुकी है, लेकिन इस अधूरे सड़क के निर्माण को लेकर विभाग ने सुध नहीं ली है। जिससे अब क्षेत्र के लोगों में विभागीय उदासीनता को लेकर आक्रोश देखा जा रहा है। दरअसल गेरवानी-सराईपाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़क का निर्माण क्रियान्वयन एजेंसी पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग रायगढ़ को बनाया गया था। करीब 7.2किलोमीटर सड़क निर्माण की लागत 459.95 लाख स्वीकृत की गई थी। रायगढ़ के ठेकेदार मे.सुनील कुमार अग्रवाल को निर्माण का टेण्डर मिला था। सड़क निर्माण का कार्य 13 मार्च 2018 को प्रारंभ किया गया। और विभाग द्वारा कार्य की पूर्णता 12 सितंबर 2019 दर्शाया गया है। खास बात यह है कि जिस 7.2किलोमीटर सड़क निर्माण की पूर्णता बताई जा रही है, उसके करीब 500 मीटर पर निर्माण के नाम पर एक गिट्टी भी नहीं डाली गई।

प्राइवेट जमीन की वजह से नही हो पाया सड़क निर्माण कार्य

गेरवानी-सराईपाली रोड पर 500 मीटर की सड़क नही बन पाई है, जिसकी वजह यह बताई जा रही है कि जिस जमीन पर सड़क निर्माण की मंजूरी दी गई थी, उसके मुहाने के हिस्से की जमीन प्राइवेट लैंड थी। लिहाजा उसे छोड़कर आगे की सड़क का निर्माण किया गया। बताया जाता है कि सड़क निर्माण के दौरान विभागीय एजेंसी ने ऐसी कोई सार्थक पहल नहीं की, जिससे प्राइवेट लैंड पर निर्माण की सहमति ली जा सके। लिहाजा सड़क निर्माण की पूर्णता का बोर्ड लगा कर विभाग ने अपने काम की इतिश्री कर ली और अधूरे कच्चे मार्ग पर आवागमन करने लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया। गौर करने वाली बात यह भी है कि सड़क निर्माण की स्वीकृत लागत 459.95 लाख के बाद पांच साल तक मरम्मत के लिए 32लाख 40 हजार की भी स्वीकृति दी गई। करीब 500 मीटर पर सड़क निर्माण नहीं होने का खामियाजा आज भी क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांवों के लोगों को भोगना पड़ रहा है।

गेरवानी-सराईपाली सड़क पर क्षेत्र के एक दर्जन गांवों के लोगों के अलावा करीब एक दर्जन छोटे बड़े उद्योगों के हल्के और भारी वाहनों का आवागमन होता है। जिससे गेरवानी से शुरू होने वाली इस सड़क के मुहाने की हालत बेहद ख़तरनाक है। बड़े बड़े जानलेवा गड्ढों को पार करने में लोगों के पसीने छूट जाते हैं। इस बरसात के मौसम में इस हिस्से को पार करना मौत को दावत देने जैसा है, लेकिन चार पहिया और भारी वाहन हिचकोले खाते किसी तरह पार हो जाते हैं। परंतु पैदल चलने वाले और दोपहिया वाहन सवार लोगों को इस कच्चे रास्ते को पार करना बेहद मुश्किल हो रहा है। लिहाजा इस हिस्से पर सड़क निर्माण नहीं होने को लेकर लोगों में आक्रोश भड़क रहा है।


स्कूली बच्चों की बड़ी मुसीबत


गेरवानी-सराईपाली के बीच एक दर्जन गांव हैं। जहां से प्रतिदिन स्कूली बच्चे दो पहिया वाहन से व पैदल अवागमन करते हैं। गेरवानी और सराईपाली में हायर सेकंडरी स्कूल है। जिसके चलते हायर सेकंडरी स्कूल की ज्यादा तर छात्राएं साइकिल से आती जाती हैं। बीते मंगलवार को एक छात्रा इस कच्चे रास्ते पर गिर गई, जिससे लेकर स्थानीय लोगों के साथ साथ स्कूली बच्चों में बेहद आक्रोश है। बताया जाता है कि हायर सेकंडरी स्कूल के बच्चे आंदोलन की तैयारी में थे, लेकिन प्राचार्य ने स्कूल टाइम पर किसी भी तरह का आंदोलन नहीं करने की नसीहत दी । जिससे मंगलवार को आंदोलन कर गया, लेकिन छुट्टी के दिन बड़े आंदोलन करने की सुगबुगाहट है। और इस आंदोलन में बड़ी संख्या में क्षेत्र के ग्रामीणों के शामिल होने की संभावना है।

मरम्मत के लिए भी मिली राशि

इस अधूरे सड़क निर्माण को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि विभाग चाहता तो इस 500 मीटर हिस्से पर सड़क निर्माण कराया जा सकता था, लेकिन विभागीय अधिकारी पल्ला झाड़ते रहे। बताया जाता है गेरवानी-सराईपाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की इस सड़क की गारंटी की अवधि पांच वर्ष की थी। जिसकी अवधि भी खत्म हो गई है। इस सड़क की लागत 459.95 लाख और लंबाई 7.2 किलोमीटर निर्धारित रही। निर्माण पूर्ण होने के बाद इसकी मरम्मत के लिए भी प्रति वर्ष राशि जारी की गई। बताया जाता है कि इस सड़क की मरम्मत के लिए प्रथम वर्ष 2 लाख 88 हजार की स्वीकृति दी गई। दूसरे साल 3.60लाख, तीसरे साल 5.76 लाख, चौथे साल 8.64 लाख और पांचवें साल 11 लाख 52 हजार की स्वीकृति मिली थी। विभागीय आंकड़े मरम्मत पर राशि खर्च होने का उल्लेख भी कर रहे हैं, लेकिन इस  रास्ते पर गिट्टी भी नहीं डाला जा सका

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