अगला विधायक कौन ?
Raigarh News: आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर विधायक टिकट की दावेदारी करने वाले नेताओं का दौरा तेज हो गया है। जो कभी लोगों का हाल चाल जानना भी उचित नहीं समझते थे, वह नेता भी अब गांव-गांव जाकर लोगों के कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं। आलीशान बंगलों में रहकर ऐसी का आनंद लेने वाले नेता भी अब गरीब घराने की शादी,दशकर्म व अन्य कार्यक्रमों में जाकर शिरकत करने लगे हैं। 4.5 सालों तक लोगों की समस्या को नजरअंदाज करने वाले नेता अब धरना स्थल पर पहुंचने लगे हैं। सड़क पर प्रदर्शन कर रहे लोगों का समर्थन गैर सत्ताधारी पार्टियों के द्वारा किया जा रहा है। लेकिन यह जनता है जनाब, जो उठाना भी जानती है और गिराना भी।

बात करें लैलूंगा विधानसभा सीट की तो यहां वर्तमान में कांग्रेस के विधायक हैं। जो जमीनी स्तर से जुड़े हुए नेता है। जिनका लोगों से संपर्क अभियान अब तेज हो चुका है। हालांकि कई क्षेत्रों में अभी भी विकास कार्य नहीं हो पाए हैं, बिजली पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वनांचल क्षेत्र के रहवासी वंचित हैं,जिससे जनता रुष्ट है। जिसका खामियाजा कांग्रेस को चुनाव में उठाना पड़ सकता है। लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र के तमनार अंचल में औद्योगिकरण अधिक होने के कारण सड़क और प्रदूषण की समस्या लगातार सामने आ रही है। जिससे लोगों में सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश है। क्षेत्र में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं से हो रही मौतों को रोकने के लिए कोई कारगर कदम न उठाना , उद्योगों से निकलने फ्लाई एश की समस्या को दूर करने के लिए कोई समुचित प्रवधान न होना साथ ही प्रशासनिक मनमौजी से सरकार की छवि खराब हो रही है। अभी कुछ दिनों पहले ही इन्हीं मामलों को लेकर हुंकराडिपा चौक पर आर्थिक नाकेबंदी की गई थी। जहां प्रशासनिक मनमौजी के खिलाफ हल्ला बोला गया था, ग्रामीणों ने तमनार तहसील कार्यालय में पदस्थ अतिरिक्त तहसीलदार अनुज पटेल को हटाने की मांग रखी थी। अब आगामी दिनों में यह देखने वाली बात होगी, क्या कांग्रेस पार्टी जीत दिलाने वाले विधायक चक्रधर सिदार को ही टिकट देती है, या फिर कुछ बदलाव करती है।
कांग्रेस पार्टी की ओर से पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान से लेकर अब तक पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए प्रतिनिधियों के साथ विद्यावती सिदार और सुरेंद्र सिदार को ताल से ताल मिलाकर चलते हुए देखा जा रहा है। क्षेत्र में इनके द्वारा लगातार सघन जनसंपर्क भी किया जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले टिकट की रेस में चक्रधर सिदार, विद्यावती सिदार और सुरेंद्र सिदार का नाम ही आगे था। लेकिन कांग्रेस की रणनीति में चक्रधर सिदार का नाम फिट बैठा और पार्टी ने अपना उम्मीदवार के तौर पर चक्रधर सिदार का नाम घोषणा की। और चक्रधर सिदार ने पार्टी के भरोसे पर खुद को सही साबित किया और भारी मतों से विजई हुए। इस बार भी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस का समीकरण कुछ उसी स्थिति में है। बस फर्क इतना पड़ा है कि वर्तमान में कांग्रेस का विधायक लैलूंगा विधानसभा सीट पर है और पिछले विधानसभा चुनाव के पूर्व भाजपा से सुनीति राठिया विधायक थी।
देखा जाए तो लैलूंगा विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस पार्टी के बीच ही घमासान होगी। भाजपा ने पिछले कुछ विधानसभा चुनाव में सुनीति राठिया और सत्यानंद राठिया को ही विधायक के लिए टिकट दिया है। जिसमें पति पत्नी ने दो बार भाजपा को जीत का स्वाद चखाया है। वही पिछले विधानसभा चुनाव में सत्यानंद राठिया को करारी शिकस्त मिली थी। अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा अपने उन्हें पुराने चेहरों पर दांव खेलती है या किसी नए चेहरे को आजमाती है।
जागेश सिदार की मजबूत दावेदारी
भारतीय जनता पार्टी की लैलूंगा विधानसभा सीट में सुनीति सत्यानंद राठिया जैसे पुराने नामों को हटा दिया जाए तो कुछ चेहरे ही सामने आते हैं। जिनमें से एक जागेश सिदार है। जो पिछले कुछ वर्षों से क्षेत्र में काफी सक्रिय दिखाई पड़ रहे है। युवा वर्ग के चहेते बजरमुडा निवासी जागेश सिदार इन दिनों सभी जगहों के कार्यक्रमों में पहुंच रहे है। क्षेत्रीय समस्याओं पर भी जागेश सिदार द्वारा आवाज उठाई जा रही हैं। जिस वजह से जागेश सिदार का नाम आगामी विधान सभा चुनाव में विधायक की टिकट को लेकर काफी आगे चल रहा है।
लैलूंगा विधानसभा सीट का इतिहास
वैसे लैलूंगा विधानसभा सीट के सियासी इतिहास की बात की जाए तो 1990 से 2003 तक यहां कुंजेमुरा निवासी आदिवासी नेता प्रेम सिंह सिदार यहां विधायक रहे। लेकिन अजीत जोगी के संपर्क में आने के बाद उन्होंने बीजेपी का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया। 2003 के विधानसभा चुनाव में उन्हें इस गलती का खामियाजा भुगतना पड़ा। बीजेपी के टिकट पर सत्यानंद राठिया ने उन्हें शिकस्त दी। लेकिन 2008 में इस विधानसभा में मतदाताओं का मिजाज बदला और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी हदयराम राठिया को अपना नेता चुना।
2013 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो बीजेपी ने सत्यानंद राठिया की पत्नी सुनीति राठिया को टिकट दिया, जिन्होंने हृदयराम राठिया को हराया। देखते ही देखते समय बितता गया। हार के बाद हृदय राम राठिया ने कांग्रेस पार्टी के प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और और जनता कांग्रेसी छत्तीसगढ़ ज्वाइन कर लिया। आगामी 2018 विधानसभा चुनाव को लेकर फिर सभी नेताओं ने लोगों से जुड़ना शुरु कर दिया। चुनाव नजदीक आया और राजनीतिक पार्टियों ने अपने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। बीजेपी ने अपने पुराने चेहरे सत्यानंद राठिया पर विश्वास जताते हुए मैदान पर उतारा। वही कांग्रेस पार्टी ने चक्रधर सिदार को मौका दिया।जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने यहां से कांग्रेस के विधायक रह चुके हृदयराम राठिया को चुनावी मैदान मे उतारा, तो वहीं आम आदमी पार्टी ने भी अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी। ऐसे में इस सीट पर घमासान मचना तय था। हुआ भी कुछ ऐसा ही, सभी पार्टियों ने दमखम लगा कर प्रचार प्रसार किया। लेकिन चौक चौराहा पर यह चर्चा पहले से तेज हो चुकी थी कि भाजपा इस चुनाव में हारने वाली है। लोग कांग्रेस की लहर चलने की बातें कह रहे थे, जो चुनाव परिणाम आने के बाद सही भी साबित हो गया। कांग्रेस प्रत्याशी चक्रधार सिदार ने बड़े अंतर से भाजपा प्रत्याशी सत्यानंद राठिया को पछाड़ दिया।