Raigarh News: दलदल में फंसने से गजशावक की मौत, वन विभाग की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल! पढ़िए पूरी खबर…

Raigarh News: घरघोड़ा वन परिक्षेत्र के पानी खेत गांव के पास एक हाथी के शावक की मौत की घटना सामने आई है। जंगल में बने स्टाफ डैम के दलदल में फंसने के कारण शावक ने दम तोड़ दिया है। बताया जा रहा है कि यह घटना 2 से 3 दिन पुरानी है। घटना का पता तब चला जब शव से बदबू आने लगी, जिसके बाद ग्रामीणों ने इसकी जानकारी वन विभाग को दी। मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने जांच शुरू कर दी है।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, क्षेत्र में 38 हाथियों का दल विचरण कर रहा है। फिलहाल ग्रामीण और वन विभाग ने मिलकर दलदल में फंसे शावक के शव को निकालने का प्रयास किया किया जा रहा है। जिसके बाद आगे की प्रक्रिया की जाएगी।

औद्योगिक विस्तार के साये में संकटग्रस्त वन्य जीवन

जिले में वन्यजीवों के लिए खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। जंगलों के कटाव और औद्योगिक विस्तार के चलते हाथियों समेत कई वन्यजीवों की मौत की घटनाएं सामने आ रही हैं। हाल के महीनों में लगातार हाथियों के मरने की घटनाओं ने वन विभाग और पर्यावरणविदों को चिंता में डाल दिया है। औद्योगिक नगरी रायगढ़ के आसपास बड़े पैमाने पर औद्योगिक परियोजनाएं चल रही हैं, जिनके लिए जंगलों का तेजी से कटाव हो रहा है। यह कटाव न केवल हाथियों के प्राकृतिक आवास को नष्ट कर रहा है, बल्कि उन्हें भोजन और पानी की तलाश में गांवों की ओर आने पर मजबूर कर रहा है। हाल ही में हाथियों के झुंड को गांवों के खेतों और रिहायशी इलाकों में देखा जा रहा है। यह संघर्ष न केवल हाथियों के लिए बल्कि ग्रामीणों के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है।

विद्युत तार और निगरानी में लापरवाही से हो रही हाथियों की मौत

जिले में हाथियों की सुरक्षा को लेकर लगातर बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। बीते तीन महीनों में आज की घटना को मिलाकर पांच हाथियों की मौत के मामले सामने आए है,ये मौतें बिजली के करंट और दलदल में फंसने जैसी घटनाओं के कारण हुई हैं। आज के मामले में हाथी के दलदल में फंसकर दम तोड़ने की बात सामने आई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि बीट गार्ड नियमित और सघन गश्त करते, तो हाथी की जान बचाई जा सकती थी।

कुछ माह पूर्व चुहकीमार जंगल में करंट प्रवाहित हाईटेंशन तार की चपेट में आने से एक हाथी शावक समेत तीन हाथियों की मौत हो गई। जहां विद्युत प्रवाहित तार की कम ऊंचाई के कारण  घटना होना पाया गया। जांच में यह बात सामने आई कि तार बेहद कम ऊंचाई पर लटक रहा था। यदि समय रहते बिजली विभाग और वन विभाग सतर्कता दिखाते और तार की ऊंचाई बढ़ा दी जाती, तो यह दर्दनाक घटना टाली जा सकती थी।

धरमजयगढ़ क्षेत्र में भी हाथीशावक की मौत का एक मामला सामने आया। जहां जांच में पाया गया कि पेड़ के ठूंठ में गिरने की वजह से हाथी शावक की मौत हुई है। जिसकी जानकारी वन अमला को तीन-चार दिन बाद मिली। यह घटना वन विभाग की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

पिछले कुछ समय में बढ़ती घटनाओं ने वन विभाग की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि जंगलों में लगे बिजली के तारों की नियमित जांच और उचित ऊंचाई सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, बीट गार्डों की सतर्कता और गश्त बढ़ाकर हाथियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।हाथियों की लगातार हो रही मौतें न केवल पर्यावरणीय संतुलन को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि इनकी सुरक्षा में हो रही लापरवाही को भी उजागर कर रही हैं।

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