Raigarh News : जिले के तमनार क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत सराईटोला के आश्रित ग्राम मुडागांव में आज अदानी समूह द्वारा जंगल की कटाई शुरू किए जाने की खबर से स्थानीय स्तर पर भारी विरोध और तनाव की स्थिति बन गई। लेकिन प्रशासनिक हथकंडे और भारी पुलिस बल के जरीए जंगल मे लगे हजारों पेड़ को काट गिराया गया। कटाई के विरोध में आज सुबह सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण मौके पर एकत्र हुए और कटाई कार्य को रुकवाने की मांग करने लगे। लेकिन विरोध के स्वर अलाप रहे लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन के बीच लैलूंगा विधायक विद्यावती सिदार भी समर्थन में पहुंचीं, लेकिन पुलिस ने उन्हें मौके से गिरफ्तार कर लिया। इसके कुछ देर बाद लैलूंगा क्षेत्र के पूर्व विधायक सत्यानंद राठिया भी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और विरोध दर्ज कराया, जिन्हें भी हिरासत में लिया गया।
क्या है मामला?
जानकारी के अनुसार, मुडागांव में महाजेंको के कोल ब्लाक सेक्टर के लिए जंगलों को उजाड़ने की शुरुआत की जा चुकी है। पुलिस-प्रशासन और फारेस्ट विभाग की मौजूदगी में आज करीबन 4 घंटो में ही लगभग 1500 पेड़ों की बली दे दी गई। इसके लिए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई। आज भोर से ही मुड़ागांव पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था। रायगढ़ पुलिस के अलावा सीमावर्ती जिला से भी पुलिस बल बुलाया गया था।
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में जंगल पर केंद्रित है लोगों की आजीविका
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इस क्षेत्र का जंगल न केवल जैव विविधता से समृद्ध है, बल्कि यहाँ रहने वाले आदिवासी समुदायों की परंपरागत आजीविका और संस्कृति का आधार भी है। ग्रामीणों का आरोप है कि पेड़ कटाई से पहले उनसे सहमति नहीं ली गई, न ही कोई जनसुनवाई की प्रक्रिया पारदर्शी रूप से की गई। विरोध कर रहे लोगों ने इसे “पर्यावरण और जीवन पर हमला” बताया है।
शहर में बन रहा ऑक्सिजोन, ग्रामीण क्षेत्रों में कट रहा जंगल
पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने के लिए भाजपा सरकार के द्वारा एक ओर शहर में ऑक्सीजोन का निर्माण किया जा रहा है। वही दूसरी ओर औद्योगिकीकरण के लिए जिले में लगातार जंगल उजाड़े जा रहे है। गौर करने वाली बात यह भी ही कि रायगढ़ विधायक, वित्त और पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी के द्वारा कल तमनार दौरे पर ‘ एक पेड़ मां के नाम‘ भी लगाया गया। लेकिन हैरानी वाली बात ये है कि मंत्री के तमनार दौरे के दूसरे दिन ही इस क्षेत्र में जंगल को उजाड़ दिया गया।
पहले से ही औद्योगिक विस्तार के नाम से त्रस्त है क्षेत्र की जनता
औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में लगातार औद्योगिकरण किया जा रहा है। उद्योग लगने से क्षेत्र के जल,जंगल और जमीन संकट की स्थिति पर है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने से क्षेत्र की आजीविका जंगल के उपज पर भी आधारित है। क्षेत्र के लोग जंगल से मिलने वाले महुआ, डोरी, चार व तेंदू पत्ता के अलावा जलाऊ लकड़ी के सहारे अपना दिन भी चलाते हैं। लेकिन लगातार औद्योगिक विस्तार होने की वजह जंगल सिमटता जा रहा है। जिससे उनकी जीविका पर भी प्रभाव पड़ने वाला है।
कोल खदान बनने के बाद और बढ़ेगा ट्रैफिक दबाव
जिले में कोल खदान व उद्योंगो की बात की जाए तो सबसे ज्यादा कोल की खदान और उद्योग तमनार क्षेत्र में है। खदान से निकलने वाले कोयले के ट्रांसपोर्टिंग के लिए हजारों की संख्या में प्रतिदिन तमनार क्षेत्र में भारी वाहन धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं। इसका नतीजा यह देखने को मिल रहा है कि लोग बेमौत पहियों तले दब कर मारे जा रहे हैं। अगर क्षेत्र में कोल खदान का विस्तारण अधिक बढ़ता जाता है तो गाड़ियों की संख्या की बढ़ती जाएगी। जिससे ट्रैफिक दबाव बढ़ेगा और दुर्घटनाओं की आशंका भी बढ़ेगी। फिलहाल अदानी समूह के द्वारा महाजेंको कोल सेक्टर के लिए श्री गणेश कर दिया गया है, लोगों का विरोध पेंड कटाई को नहीं रोक पाया।